टाटा स्टील ने अपने ओपन इनोवेशन प्रोग्राम मटेरियल नेक्स्ट 3.0 के विजेता की घोषणा की

Spread the love

विजेता टीम ने मानव श्वास में प्री-डायबिटीज का पता लगाने के लिए सेल्फ-पॉवरिंग सेंसर बनाया। 
प्रथम रनर-अप टीम ने 2डी मैटेरियल के लिए सुगम, कम लागत और स्केलेबल प्रक्रिया तैयार की । 
द्वितीय रनर-अप टीम ने हरित इलेक्ट्रो केमिकल तरीके के माध्यम से H2S से शुद्ध H2 बनाया । 
इस आयोजन के तीसरे संस्करण में कुल 278 टीमों ने पंजीकरण किया तथा 166 एक्टिव आइडियाज सामने आए । 
जमशेदपुर (संवाददाता ):- आईआईटी हैदराबाद की टीम ‘नैनो ट्राइब’ को 1 जून, 2022 को जमशेदपुर में आयोजित फिनाले में ‘टाटा स्टील मैटेरियलनेक्स्ट’ के तीसरे संस्करण का विजेता घोषित किया गया। टीम में सुष्मिता वीरलिंगम, हरि प्रकाश, और जलादुर्गम ईश्वरी, ने डॉ सुषमा बधुलिका के मार्गदर्शन में ‘मानव सांस में प्री-डायबिटीज का पता लगाने के लिए सेल्फ-पॉवरिंग सेंसर’ शीर्षक नामक समाधान प्रस्तुत किया था। विजेता टीम को 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला।
इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस (IACS) कोलकाता की टीम ‘मैटेरियल्स इंजीनियरिंग लैब’ ने ‘दो-आयामी (2D) मटेरियल के लिए आसान, उच्च उत्पादन और रूम टेंपरेचर सिंथेसिस प्रोसेस’ शीर्षक वाले समाधान का प्रदर्शन किया और प्रथम रनर-अप का स्थान हासिल किया। इस टीम के सदस्यों, सुखेंदु मैती और डॉ कृष्णेंदु सरकार, को डॉ प्रवीण कुमार ने मार्गदर्शन प्रदान किया था और उन्होंने 2.5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्राप्त किया। आईआईटी रोपड़ की टीम ‘टीसीएन-आईआईटीआरपीआर’, जिसने ‘रिकवरी ऑफ प्योर हाइड्रोजन फ्रॉम एच2एस बाय ग्रीनर इलेक्ट्रोकेमिकल अप्रोच’ शीर्षक वाले समाधान का प्रदर्शन किया, ने दूसरे उपविजेता का स्थान हासिल किया। मुकेश कुमार की इस एक सदस्यीय टीम को डॉ. सी.एन. थरमनी ने मार्गदर्शन दिया और इन्होंने 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्राप्त किया।
सभी विजेताओं और फाइनलिस्टों को बधाई देते हुए, टाटा स्टील के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और प्रबंध निदेशक, टी.वी. नरेंद्रन ने कहा: “ज्ञान और प्रौद्योगिकी हमारे देश के जियोपोलिटिकल महत्व को बढ़ाने और मूल्य निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख प्रवर्तक के रूप में उभरे हैं। भारत अगले कुछ दशकों में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के साथ-साथ अपनी शुद्ध शून्य महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहा है, यह अनिवार्य है कि हम इसे स्वच्छ, स्मार्ट और अभिनव तरीके से प्राप्त करें। “टाटा स्टील में, हमारा प्रयास कंपनी के बाहर मौजूद इनोवेशन इकोसिस्टम की तलाश करना है, स्थायी समाधान बनाने के लिए वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों, शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्ट-अप के साथ काम करना और मेटल्स तथा माइनिंग स्पेस में एक प्रौद्योगिकी लीडर बनने की हमारी यात्रा को गति प्रदान करना है। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले युवा मस्तिष्कों द्वारा विकसित सफलता के विचार, पहल और नवाचार वास्तव में प्रशंसनीय हैं और आने वाले रोमांचक समय की एक झलक पेश करते हैं।
इस अवसर पर, टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट, टेक्नोलॉजी एंड न्यू मटेरियल्स बिजनेस, डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि : “किसी संगठन की तकनीकी उत्कृष्टता आइसोलेशन में नहीं होती है, इसे अत्यधिक सक्षम और सपोर्टिव इकोसिस्टम की आवश्यकता होती है। छात्र और शिक्षाविद किसी देश के ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र की नींव बनाते हैं। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि इस ओपन इनोवेशन इवेंट के माध्यम से, हम प्रतिभाशाली संकायों द्वारा निर्देशित उज्ज्वल युवा मष्तिस्कों को बोल्ड आइडियाज के साथ आकर्षित करने में सक्षम हैं जो जल्द ही वास्तविकता बन सकते हैं। मैं विजेता टीम को बधाई देता हूं और मटेरियलनेक्स्ट 3.0 के सभी प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना करता हूं।”
शीर्ष आठ में शेष पांच टीमों ने अपने अभिनव समाधानों और विचारों का प्रदर्शन करने के लिए 25,000 रुपये का नकद पुरस्कार जीता। मटेरियलनेक्स्ट के इस संस्करण को अंतिम 166 सक्रिय विचारों के साथ 278 टीमों से पंजीकरण प्राप्त हुआ।
ग्रैंड फिनाले जूरी में डॉ इंद्रनील चट्टोराज (निदेशक, सीएसआईआर-एनएमएल, जमशेदपुर), डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी (वीपी, टेक्नोलॉजी एंड न्यू मैटेरियल्स बिजनेस, टाटा स्टील), पीयूष गुप्ता (वीपी, सप्लाई चेन, टाटा स्टील) और आशीष अनुपम ( एमडी, टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड) जबकि अन्य उपस्थित प्रतिनिधियों में चीफ, हेड, प्रिंसिपल साइंटिस्ट और प्रौद्योगिकी और न्यू मैटेरियल्स बिजनेस डिवीजन के शोधकर्ता शामिल थे।
मैटेरियलनेक्स्ट, टाटा स्टील एडवांस्ड मैटेरियल्स रिसर्च सेंटर्स (टीएसएएमआरसी) द्वारा आयोजित एक प्रमुख अखिल भारतीय प्रतियोगिता, मटेरियल के उभरते डोमेन और उनके अनुप्रयोग में ‘खुले नवाचार’ को पोषित करने पर केंद्रित है। मटेरियलनेक्स्ट को 28 दिसंबर, 2018 को लॉन्च किया गया था, जो टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन और चेयरमैन एमेरिटस टाटा संस, रतन एन टाटा के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित किया गया था।
इसके तीसरे संस्करण में सस्टेनिबिलिटी और मटेरियल्स के क्षेत्र में नवाचार पर केंद्रित था। इन दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक के अंतर्गत दो क्षेत्र थे, जो वर्तमान और भविष्य की उद्योग प्रासंगिकता के संदर्भ में आगे कई उप-क्षेत्रों में विभाजित हो गए। पंजीकरण के बाद इन उप-क्षेत्रों में ‘रिसर्च’ या ‘स्टार्ट-अप’ ट्रैक के माध्यम से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे।
जबकि ‘रिसर्च’ ट्रैक भारत भर के अकादमिक/शोध केंद्रों के इच्छुक पंजीकृत पीजी और पीएचडी छात्रों और शोध विद्वानों के लिए खुला था, ‘स्टार्ट-अप’ ने सीड या सीरीज़ ए फंडिंग स्तर में इनक्यूबेटेड स्टार्टअप्स को भाग लेने की अनुमति दी। मटेरियलनेक्स्ट 3.0 में कुल 4 थीम एरियाज भी थे जो दोनों ट्रैक के लिए खुले थे, अर्थात, मटेरियल रीसायकल और रिकवरी, हाइड्रोजन और CO2, वैकल्पिक निर्माण और नैनो मैटेरियल्स। दोनों ट्रैकों पर, टीमों ने परियोजना विकास के अगले स्तर के लिए नकद पुरस्कार, परामर्श और अनुदान के लिए प्रतिस्पर्धा की।
नवाचार कार्यक्रम में तीन प्रमुख चरण शामिल थे: चयन, प्रदर्शन और फिनाले। पंजीकरण के बाद, सिलेक्शन फेज में ऑनलाइन स्क्रीनिंग की 2-चरण प्रक्रिया शामिल थी, जिसके बाद विषय विशेषज्ञों द्वारा आयोजित चर्चा-सह-मूल्यांकन चरण शामिल था। चयनित प्रविष्टियाँ तब परफॉर्मेंस फेज में आगे बढ़ीं, जिसे एक मूल्यांकन (प्री-फिनाले) दौर के माध्यम से तय किया गया, जिसका समापन 1 जून, 2022 को फिनाले में हुआ।
टाटा स्टील में, एडवांस्ड मैटेरियल्स में अनुसंधान करना एक सक्रिय प्रक्रिया है। नैनो टेक्नोलॉजी में काम एक दशक पहले शुरू हुआ था। कंपनी ने जमशेदपुर में ग्राफीन सेंटर के उद्घाटन के साथ 2016 में ग्राफीन पहल की शुरुआत की थी।
2018 तक, भारत में टाटा स्टील ने कंपोजिट और सिरेमिक पर ध्यान केंद्रित करते हुए, न्यू मैटेरियल्स बिजनेस डिवीजन के उद्घाटन के साथ स्टील और मटेरियल बिज़नेस में एक प्रौद्योगिकी लीडर बनने की यात्रा शुरू की। वित्त वर्ष 2017 के दौरान दो टाटा स्टील एडवांस्ड मैटेरियल्स रिसर्च सेंटर स्थापित किए गए, एक चेन्नई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटीएम) के सहयोग से और दूसरा बेंगलुरु में सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के सहयोग से स्थापित किया गया। इन केंद्रों का उद्देश्य उन्नत सामग्री अनुसंधान और इसके अनुप्रयोगों के पोर्टफोलियो का निर्माण करने के लिए अकादमिक और अन्य विशेषज्ञता केंद्रों के साथ मिलकर काम करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *