श्रीनाथ विश्वविद्यालय में छठा अंतरराष्ट्रीय श्रीनाथ हिंदी महोत्सव का किया गया शुभारंभ, कई प्रतियोगिताएं हुई आयोजित

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आदित्यपुर: आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में छठा अंतरराष्ट्रीय श्रीनाथ हिंदी महोत्सव का शुभारंभ किया गया। महोत्सव का शुभारंभ गणमान्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आयुक्त  मनोज कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व के सभी देश के राष्ट्राध्यक्ष अपनी मातृभाषा भाषा में अपनी बात कहते हैं अतः हमें भी अपनी भाषा के विकास लिए काम करना चाहिए । समस्त राष्ट्र की उन्नति का मूल इसी भाषा में है। आज व्यक्तिक विकास को सही दिशा देने की आवश्यकता है । अगर आप बौद्धिक तरक्की करना चाहते हैं, राष्ट्र को कुछ देना चाहते हैं तो हमें अपनी पढ़ाई लिखाई को पैकेज के बाहर लाकर सोचना होगा । आयुक्त महोदय ने विद्यार्थियों को नशे से बचने की सलाह दी । उन्होंने कहा कि आप नशे को छोड़िए क्योंकि इससे हमारा युवा वर्ग दुषित हो रहा है क्योंकि इसकी वजह से हमें आने वाले समय में कभी भी अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर साहित्यकार नहीं मिल सकेंगे ।

कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ. पी. के. पानी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि हिंदी की उपेक्षा को रोका जा सके । यह भारत की राजभाषा है । यह भारत के अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, पाकिस्तान, त्रिनिदाद, बांग्लादेश जैसे कई देशों में बोली जाने वाली भाषा है । इसके लिए सरकार भी अपनी ओर से लगातार काम कर रही है । उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय जो हिंदी के लिए कर रहा है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है ।

कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय का बहुत कम समय में लंबा सफर तय हुआ है । यह विश्वविद्यालय हिंदी महोत्सव अपने आरंभिक चरण से ही पूरे धूमधाम से मनाते आया है । हिंदी हमारी बोलचाल की भाषा ही नहीं बल्कि यह हमारी पहचान भी है । यहां सभी को एक सूत्र में बांधने का कार्य हिंदी करती है । सूरदास, कालिदास, रहीम आदि कई ऐसे नाम है जिनकी कृतियां मानवता को समर्पित एवं दुनिया को विश्व शांति का संदेश देती है ।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आई.पी.एस. संजय रंजन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि कि जीवन के मूल्यों और नैतिकता को बच्चे कभी ना भूलें क्योंकि यह मूल्य और नैतिकता ही है जिस पर यह दुनिया टिकी हुई है । हिंदी महोत्सव के प्रथम दिवस के दूसरे सत्र में चिंतन मनन रखा गया जिसका विषय था “कारपोरेट संस्कृति में हिंदी की स्थिति”। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रभात खबर के संपादक संजय मिश्रा जी तथा दैनिक जागरण के संपादक यू. एन. पाठक जी उपस्थित थे । चिंतन मनन का सत्र समन्वय जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय की आचार्य डॉ. मुदिता चंद्र ने किया ।

विषय पर बात करते हुए प्रभात खबर संपादक संजय मिश्रा ने कहा कि हमें बचकाना अनुवाद के प्रयोग से बचना चाहिए । हमारे बच्चों को संस्कृति से जुड़ने की आवश्यकता है । कारपोरेट जगत ने हिंदी के बढ़ावे में सहयोग दिया है । कारपोरेट की भाषा हिंदी से अलग नहीं है क्योंकि कारपोरेट का लोगों तक अपनी बात पहुंचाना, अपने उत्पादों को लोगों तक सुलभ कराने में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका है । कारपोरेट का हिंदी से रिश्ता दिन प्रतिदिन मजबूत हो रहा है । उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि हिंदी का भविष्य बहुत सुरक्षित है ।

चिंतन मनन की समन्वयक डॉ मुदिता चंद्रा ने अपने समन्वय कार्य को आगे बढ़ाते हुए कहा हिंदी को पुस्तक की भाषा बनाकर रखना गलत होगा । हिंदी एक समृद्ध भाषा है । दूसरे वक्ता दैनिक जागरण के संपादक यू. एन. पाठक जी ने कहा कि करीब 53 करोड़ से अधिक लोग भारत में हिंदी बोलते हैं वही विश्व में 70 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं।

महोत्सव में उपस्थित हुए गणमान्य अतिथियों का विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो तथा प्रबंधन के सदस्यों के द्वारा अंग वस्त्र, पुष्प पौधा एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। हिंदी महोत्सव के प्रथम दिवस में कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई यथा हास्य कवि सम्मेलन, प्रश्नोत्तरी प्रथम चरण, दीवार सज्जा, सामूहिक चर्चा। साहित्यिक सफर, समाचार वाचन, मुखड़े पर मुखड़ा, लिखो कहानी, रिपोतार्ज लेखन, व्यक्तित्व झांकी। आदि संपादित हुई ।

प्रथम दिवस निर्णायक के रूप में नरेश अग्रवाल, डा. रागिनी भूषण, विकास प्रसाद, अनूप कुमार सिन्हा, सुमन प्रसाद अरुणा झा, सुधा गोयल,  ज्योति स्वरूप,  संतोष साव,  संदीप सावर्ण,  ट्विंकल गुप्ता, दशरथ हांसदा आदि उपस्थित थे । इस अवसर पर मंच संचालन उदय चंद्रवंशी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन जिला परिवहन पदाधिकारी दिनेश रंजन  के द्वारा हुआ ।

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