जमशेदपुर:-संस्कृति और सभ्यता के दृष्टिकोण से झारखंड राज्य की अपनी एक अलग पहचान है जिसका आधार इसका लोक साहित्य है। परंतु आधुनिकता की धूल ने यहां के लोक साहित्य को धूमिल कर दिया है। इसी विचार को सामने लाने के उद्देश्य से कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के बंगला विभाग ने एक वेबीनार सह सेमिनार आयोजित करने जा रहा है। कार्यक्रम कल ही 25 फरवरी 2022 को होने वाला है जिसका विषय है “झारखंड लोक साहित्य पुनर्विनयास एवं पुनर्मूल्यांकन”।
इस सेमीनार का उद्देश्य झारखंड के लोक साहित्य की समीक्षा: नए आयाम एवं नए उपगम है। यह वेबीनार सह सेमिनार कोल्हान विश्वविद्यालय के बंगला विभाग में आयोजित होगा। इस सेमिनार की जानकारी देते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग के अध्यक्ष तथा सेमिनार के कंवेनर डॉ तपन कुमार खांडा ने बताया कि परिचय सत्र 10:45 में प्रारंभ होगा। मुख्य संरक्षक प्रोफेसर डॉक्टर गंगाधर पांडा, उपकुलपति कोल्हन विश्वविद्यालय,चाईबासा होंगे तथा अतिथि स्वरूप डॉक्टर मुदिता चंद्रा डीन ऑफ ह्यूमैनिटी, कोल्हन विश्वविद्यालय, डॉ सुरेश चंद्र दास डीएसडब्ल्यू,कोल्हन विश्वविद्यालय, प्रोफेसर डॉक्टर जयंता शेखर, रजिस्ट्रार कोल्हन विश्वविद्यालय सम्मिलित होंगे। दूसरा सेशन एकेडमिक सेशन होगा जिसमें डॉक्टर अचिन्त वि श्वास, भूत पूर्व उपकुलपति, गौर बांग्ला विश्वविद्यालय, वेस्ट बंगाल, डॉक्टर सौगत चट्टोपाध्याय कोलकाता विश्वविद्यालय, प्रोफ़ेसर बानी रंजन दे, विद्यासागर विश्वविद्यालय तथा डॉक्टर बी एन त्रिपाठी, बांग्ला विभागाध्यक्ष, करीम सिटी कॉलेज जमशेदपुर अपना मुख वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे। यह सेमिनार इस राज्य के लिए एक विशेष सेमिनार है, आशा है के पूर्णता सफल साबित होगा।
Reporter @ News Bharat 20