पीएफ का पैसा बनेगा करोड़पति 25 हजार बेसिक सैलरी पर।

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जमशेदपुर:-अक्टूबर से लागू होनेवाले न्यू वेज कोड सैलरी, पीएफ को लेकर बड़ी खबर है। वेज कोड लागू होने से नया सैलरी स्ट्रक्चर, वर्किंग आवर, छुट्टियां, पीएफ और पेंशन से लेकर कई बदलाव होने वाले हैं।जानकारी के मुताबिक अक्टूबर से लागू होने वाले न्यू वेज कोड के लिए श्रम मंत्रालय तैयारी कर चुका है। नए वेज कोड में कॉस्ट टू कंपनी को लेकर काफी चर्चा है।

यदि ऐसा होता है तो प्राइवेट नौकरी करने वाले की टेक होम सैलरी, पीएफ और ग्रेज्युटी पूरी तरह बदल जाएगी। इस कोड में प्राइवेट नौकरीपेशा को कैश इन हैंड सैलरी घट जाएगी, लेकिन बुढ़ापा ज्यादा सिक्योर हो जाएगा। जानकारों की माने तो मंथली सैलरी घटेगी तो पीएफ में ज्यादा कटौती होगी। इससे रिटायरमेंट के बाद बड़ा फंड मिलेगा। साथ ही ग्रेज्युटी भी बढ़ जाएगी।

ऐसे समझें न्यू वेज कोड

न्यू वेज कोड पीएफ के लाभुक की अगर मंथली सैलरी 50 हजार रुपए है और बेसिक पे 15 हजार रुपए होगी, तब रिटायरमेंट पर पीएफ की रकम 6997411 रुपए होगी। न्यू वेज कोड में बेसिक सैलरी 25 हजार रुपए महीना हो जाएगी तब रिटायरमेंट पर पीएफ की रकम 11662366 रुपए हो जाएगी। यहां सालाना इंक्रीमेंट 5 प्रतिशत लिया गया है, जिसमें पीएफ का फंड और बढ़ जाएगा।

क्या है कॉस्ट टू कंपनी

न्यू वेज कोड में फायदा यह होगा कि किसी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों पर किया जाने वाला खर्च कॉस्ट टू कंपनी सीटीसी होता है। यह कर्मचारी का पूरा सैलरी पैकेज होता है। कॉस्ट टू कंपनी में मंथली बेसिक पे, भत्ते व रिइंबर्समेंट शामिल होता है। वहीं सालाना आधार पर ग्रेच्युटी, एनुअल बोनस जैसे प्रोडक्ट शामिल होते हैं। कॉस्ट टू कंपनी की रकम कर्मचारी को टेक होम सैलरी के बराबर कभी नहीं होती। कॉस्ट टू कंपनी में कई कंपोनेंट होते हैं इसलिए यह अलग होती है। सीटीसी मतलब ग्रास सैलरी प्लस पीएफ प्लस ग्रेच्युटी होता है।

बेसिक सैलरी – न्यू वेज कोड में बेसिक सैलरी किसी कर्मचारी को बेस इनकम होती है। सभी कर्मचारियों के लेवल के आधार पर यह फिक्स होती है। यह कंपनी के पद और जिस उद्योग में वह काम कर रहा है उसके अनुसार होती है।

ग्रास सैलरी – न्यू वेज कोड के अनुसार बिना टैक्स काटे जो बेसिक पे और भत्तों को जोड़कर बनती है उसे ग्रास सैलरी कहते हैंं। इसमें बोनस, ओवर टाइम पे, हॉलिडे पे और अन्य मद के भत्ते शामिल होते हैं।

नेट सैलरी – नेट सैलरी को टेक होम सैलरी भी कहते हैं। टैक्स कटने के बाद जो सैलरी बनती है उसे नेट इनकम कहते हैं।

भत्ते – कंपनी कर्मचारी को नौकरी करने के एवज में भत्ते देती है। यह हर कंपनी में अलग-अलग हो सकता है। इसके अलावा हाउस रेंट अलाउंस कर्मचारी को रेंट पर घर के एवज में दिया जाता है।

एलटीए, वाहन भत्ता- कर्मचारी को घरेलू यात्रा पर दिया जाने वाला खर्च है। इसमें फूडिंग, होटल का किराया शामिल नहीं होता। वाहन भत्ता कनवेंस अलाउंस कर्मचारी को दफ्तार से घर आने-जाने वाले खर्च के एवज में दिया जाता है।

महंगाई भत्ता- डीए जीविका से जुड़ा भत्ता है। यह महंगाई के एवज में दिया जाता है। इसके पात्र सरकारी कर्मचारी और पेंशनर होते हैं। अन्य भत्तों में स्पेशल अलाउंस, मेडिकल अलाउंस व प्रोत्साहन या इंसेटिव शामिल होता है।

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